क्या स्वर्ग में भी अलग-अलग जातियों के लोग अलग-अलग रहते हैं?
मैं वर्ष १९९६ के बाद से कई बार जोधपुर आया, लेकिन अप्रैल २००८ के पहले सप्ताह में दैनिक भास्कर से जुड़ने के बाद मुझे मारवाड़ की संस्कृति को नजदीक से देखने का मौका मिला. अतिथि सत्कार और सामाजिक सरोकार में यहां के लोगों का कोई मुकाबला नहीं. मान-मनुहार करना तो कोई इनसे सीखे. कोई भी मुसीबत आने पर पूरे शहर और राज्य के लोग एकजुट हो जाते हैं. १३ मई, २००८ को जयपुर में बम ब्लास्ट हो या ३० सितंबर, २००८ को मेहरानगढ़ (जोधपुर फ़ोर्ट ) के चामुंडा मंदिर में हुआ हादसा. सभी धर्म, समाज और जाति के लोगों ने एकजुट होकर पीड़ितों की मदद की.
हाल ही एक जन्म दिवस समारोह में भाग लेने के लिए मैं जोधपुर के भूतेश्वर महादेव मंदिर गया. यह मंदिर शहर के सिवांची गेट स्थित श्मशान क्षेत्र में है. इस क्षेत्र में कई मंदिर हैं. इन मंदिरों के परिसरों को पेड़-पौधे लगा कर आकर्षक ढंग से सजाया गया है. इससे पूरा श्मशान क्षेत्र रमणीक स्थल में तब्दील हो गया है. यह ब्लौग पढ़ने वालों को लग रहा होगा कि इसमें खास बात क्या है? सिवांची गेट स्थित श्मशान क्षेत्र में अलग-अलग जातियों और समाज के लोगों ने अलग-अलग परिसरों शवों के अंतिम संस्कार के लिए घाट बना रखे हैं. यह तो जातिवाद की इंतहा है. क्या लोग मरने के बाद जात-पांत पर विश्वास करते हैं? क्या स्वर्ग में भी जातिप्रथा कायम है? सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक सरोकार की मिसाल जोधपुर में ऐसी व्यवस्था क्यों? धार्मिक मान्यता के अनुसार मुस्लिम और ईसाई संप्रदाय के लोगों के लिए अलग कब्रिस्तान की बात तो समझ में आती है. लेकिन हिंदू धर्म के लोगों के लिए एक ही जगह पर अलग-अलग श्मशान घाट की आवश्यकता क्यों? मेरे मित्रों ने मुझे बताया कि राजस्थान में हर जगह ऐसी ही स्थिति है. स्थानीय निकाय और जिला प्रशासन ने तो अलग-अलग जाति और समाज के नाम पर निशुल्क पट्टे जारी कर रखे हैं. एक तरह से राज्य सरकार और जिला प्रशासन भी गली-मोहल्लों को तो छोड़िए, श्मशान क्षेत्र तक में जातिवाद को बढ़ावा दे रहे हैं.
Tuesday, January 26, 2010
Thursday, January 14, 2010
महान गणितज्ञ डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह का पत्र जिसमें उन्होंने देश की शि॒क्षा तथा भारत और अमेरिका की सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति पर टिप्पणी की थी.
महान गणितज्ञ आर्यभट्ट और रामानुजम की श्रेणी में शामिल डॉ. वशिष्ठ नारायण सिंह जब कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी में शोध कर रहे थे, तब उन्होंने नेतरहाट विद्यालय के अपने सहपाठी स्व. ई. राम प्रसाद (जिला खनन पदधिकारी, बिहार सरकार ) के साथ पत्र व्यवहार में लिखा था --
नेतरहाट विद्यालय को प्रतिभाशाली छात्र उत्पन्न करने चाहिए, जो भविष्य के गणितज्ञ और वैज्ञानिक बन सकें.
देश की शिक्षण संस्थाओं में जरूरत से ज्यादा राजनीति चलती है.

आईना है ---
Friday, January 8, 2010
People of Bihar are not Criminals
People of Bihar are not Criminals





Population : Mid-year estimated population is used for calculating crime rate (i.e. number of crimes per one lakh of population). The estimated population of the country as on 1st July, 2007 is 11,366 lakhs as compared to 9,552 lakhs in the year 1997. The population of the country in the decade (1997- 2007) has increased by 19.0% with an annual exponential growth rate of 1.8%.
Subscribe to:
Posts (Atom)